जागरण संवाददाता, जमशेदपुर: 'ऐ अजीजों मुझे कुछ तुमसे शिकायत भी नहीं, और सच पूछो तो अब इसकी जरूरत भी नहीं..।' अपनी सुप्रद्धि रचना 'कश्मीर की नज्म' की इन पंक्तियों के जरिए एक तरफ नई दिल्ली की कवियित्री मुमताज नसीम ने सीमा पार पाक के अजीजों को उन्वान भेजा तो दूसरी ओर भारत-पाक रिश्ते के मौजूदा हालात तथा पाक की बेहयाई को दरकिनार करते हुए कश्मीर पर भारत के निर्विवाद हक की आवाज बुलंद की। उनकी यह नज्म समाप्त होते ही पूरे रवींद्र भवन में झुरझुरी सी दौड़ गई। मौका था साहित्य, कला और संस्कृति को